ए मौत तुम वैसी नहीं हो
जैसी दिखती हो
तुम तो शांति का हो ऐसा अथाह सागर
जिसमें कुछ पल डूब कर
हम फिर पाते नवजीवन
ए मौत माना कि तुम से
जंग नहीं हो सकती मेरी
मित्रता तो है
तभी तो
मैं यहाँ बैठा
तुझ पर लिखने की
कर रहा हूँ ज़ुर्रत।
ए मौत तुम वैसी नहीं हो
जैसी दिखती हो
तुम तो शांति का हो ऐसा अथाह सागर
जिसमें कुछ पल डूब कर
हम फिर पाते नवजीवन
ए मौत माना कि तुम से
जंग नहीं हो सकती मेरी
मित्रता तो है
तभी तो
मैं यहाँ बैठा
तुझ पर लिखने की
कर रहा हूँ ज़ुर्रत।