मौसम ऐलै हो अलबेला धरती के धानी चोला,
पौधा गाबै छै कजरिया भैया झूमी-झूमी केॅ।
सर-सर-सर-सर हवा चलैछै गोछी सिनी हलरावै।
बीचऽ बीचऽ में टपकै बुंदिया मनेमऽन मुस्कावै॥
हर-हर-हर-हर पनिया बोलै खेतबा के मऽन डोलै।
नदी-नहरिया ताल-तलैया बेंगा राजा बोलै॥
सी-सी तुतरु, धम-धम ढोलक झम-झम मांजर झाल।
नीलऽ अकाशऽ के पिन्हीं चुनरिया गोछी चललि ससुराल॥
मौसम ऐलै हो अलवेला धरती के धानी चोला,
पौधा गावै छै कजरिया भैया झूमी-झूमी के।