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मौसम और तुम / किरण मिश्रा

बरसात की रात है
या तुम्हारी मुहब्बत में भीगी ग़ज़ल

बदली में छिपता-निकलता चाँद
या उठती-गिरती तेरी नज़र

हवाओं के आँचल में सिमटी बून्दें
या तुम्हारी यादों को समेटे मेरी धड़कन

आ जाओ कि ये बताने

ये मौसम नही
तुम हो ।