निमाड़ी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
म्हारा हरिया ए जुँवारा राज कि लाँबा-तीखा सरस बढ्या,
म्हारा हरिया ए जुँवारा राज कि गँऊ लाल सरस बढ्या,
गोर-ईसरदासजी का बाया ए क बहु गोरल सीँच लिया,
गोर- कानीरामजी का बाया ए क बहु लाडल सीँच लिया,
भाभी सीँच न जाणोँ ए क जो पीला पड गया,
बाइजी दो घड सीँच्या ए क लाँबा-तीखा सरस बढ्या,
म्हारो सरस पटोलो ए क बाई रोवाँ पैर लियो,
गज मोतीडा रो हारो ए क बाई रोवाँ पैर लियो,
म्हारो दाँता बण्या चुडलो ए क बाई रोवाँ पैर लियो,
म्हारो डब्बा भरियो गैणोँ ए क बाई रोवाँ पैर लियो,
म्हारी बारँग चूँदड ए क बाई रोवाँ ओढ लेई,
म्हारो दूध भरयो कटोरो ए क बाई रोवाँ पी लियो,
बीरा थे अजरावण हो क होज्यो बूढा डोकरा,
भाभी सैजाँ मेँ पोढो ए क पीली पाट्याँ राज करे।