Last modified on 17 अक्टूबर 2013, at 10:31

म्हारो कमरो / मदन गोपाल लढ़ा

बोदो माचो है
भींत सूं अड़ा‘र राखेड़ो
हींडा खांवती मेज माथै
चिण्योड़ी है किताबां
भीतां माथै लटकै है
नूवां पुराणां कलैंडर
आळै में धरयोड़ो है रेडियो
खूंट्या माथै टंग्योड़ा है गाभा।

भळै ई
आठ बाई दस फुट रो
ओ म्हारो कमरो
साधारण तो कोनी
ब्रह्मा हुवणै री
म्हारी हूंस रो
साखी है।

इण री हळगळ में
पसरयोड़ी है केई
अणलिखी
काळजयी कवितावां
जकी म्हनैं सोधै है।