सोचूं
अेक घर बणावूं
जिण मांय हुवै
थोड़ा'क बिळ
थोड़ा'क घौंसला
थोड़ी'क बोदी जमीन
अर रैवूं आपरै
बैळियां सागै
कीं कीड़्यां, मकोड़ा
कीं पांख, पंखैरू
अेक बिरछ
अर म्हैं
पण नीं हुवै उणमैं
सांप-बिच्छू
चील-गिरजड़ा
अर कांटा आळा
थूर
राजनीति रा।