तेरे
ईश्वर के
दो,
चार,
छह,
आठ...
यहाँ तक
कि हजार हाथ हैं
इसके बावजूद
उसका एक भी हाथ
मेरे सिर तक कभी नहीं आता
उसके हाथों में लड्डू है,
तीन-कमान है,
गदा है,
चक्र है,
फरसा है,
त्रिशूल है,
नाना प्रकार के
अस्त्र हैं
शस्त्र हैं
शास्त्र हैं
जो सिर्फ मेरे खिलाफ होते हुए
उसके
या
तेरे ही काम के हैं,
अपने मतलब के लिए
डराते हैं
बता तू और तेरा ईश्वर
इतना स्वार्थी क्यों है?