यै आत्मा हो
क्यों है छू लेने की
कामना?
देह हो यदि
क्यों उसके पार जाने की
विकलता यह?
आत्मा विकलता है क्या
किसी में ख़ुद को पाकर
पार जाने की
-कभी जो पूरी होती नहीं!
यै आत्मा हो
क्यों है छू लेने की
कामना?
देह हो यदि
क्यों उसके पार जाने की
विकलता यह?
आत्मा विकलता है क्या
किसी में ख़ुद को पाकर
पार जाने की
-कभी जो पूरी होती नहीं!