(राग पीलू बरवा-ताल धुमाली)
बन्धुगणो! मिल कहो प्रेमसे
‘यदुपति व्रजपति श्यामा-श्याम।’
मुदित चितसे घोष करो पुनि-
‘पतीतपावन राधेश्याम॥’
जिह्वा-जीवन सफल करो कह-
जय यदु-नन्दन, जय घनश्याम।’
हृदय खोल बोलो, मत चूको-
‘रुक्मिणि-वल्लभ श्यामा-श्याम॥’
नव-नीरद-तनु, गौर मनोहर,
‘जय श्रीमाधव, जय बलराम।’
उभय सखा मोहनके प्यारे-
‘जय श्रीदामा, जयति सुदाम॥’
परमभक्त निष्काम-शिरोमणि-
‘उद्धव-अर्जुन शोभा-धाम।’
प्रेम-भक्ति-रस-लीन निरन्तर
‘विदुर, विदुर-गृहिणी अभिराम॥’
अति उमंगसे बोलो संतत-
‘यदुपति व्रजपति श्यामा-श्याम।’
मुक्त कंठ से सदा पुकारो-
‘पतीतपावन राधेश्याम॥’