Last modified on 2 जून 2014, at 16:08

यदुपति व्रजपति श्यामा-श्याम / हनुमानप्रसाद पोद्दार

(राग पीलू बरवा-ताल धुमाली)

बन्धुगणो! मिल कहो प्रेमसे
       ‘यदुपति व्रजपति श्यामा-श्याम।’
मुदित चितसे घोष करो पुनि-
       ‘पतीतपावन राधेश्याम॥’
जिह्वा-जीवन सफल करो कह-
       जय यदु-नन्दन, जय घनश्याम।’
हृदय खोल बोलो, मत चूको-
       ‘रुक्मिणि-वल्लभ श्यामा-श्याम॥’
नव-नीरद-तनु, गौर मनोहर,
       ‘जय श्रीमाधव, जय बलराम।’
उभय सखा मोहनके प्यारे-
       ‘जय श्रीदामा, जयति सुदाम॥’
परमभक्त निष्काम-शिरोमणि-
       ‘उद्धव-‌अर्जुन शोभा-धाम।’
प्रेम-भक्ति-रस-लीन निरन्तर
       ‘विदुर, विदुर-गृहिणी अभिराम॥’
अति उमंगसे बोलो संतत-
       ‘यदुपति व्रजपति श्यामा-श्याम।’
मुक्त कंठ से सदा पुकारो-
       ‘पतीतपावन राधेश्याम॥’