यहाँ भी
औरतें
आदमी के
आदिम पुंसत्व को
समर्पित
बंदिनी गृह-लक्ष्मियाँ हैं;
देखने में देवियाँ
सौंदर्य की
मूर्तियाँ हैं;
वास्तव में
दैहिक अनुभूतियाँ हैं
रचनाकाल: १३-०६-१९७६, मद्रास
यहाँ भी
औरतें
आदमी के
आदिम पुंसत्व को
समर्पित
बंदिनी गृह-लक्ष्मियाँ हैं;
देखने में देवियाँ
सौंदर्य की
मूर्तियाँ हैं;
वास्तव में
दैहिक अनुभूतियाँ हैं
रचनाकाल: १३-०६-१९७६, मद्रास