कई
कवि देखे
कई तरह के
कवि देखे
कोई मधुकर था यहाँ
कोई काला था, कोई दिलवाला
कोई परमानंद, कोई विश्वनाथ ।
देवेंद्र कुमार को यहीं देखा
अपनी हीर कविता के लिए राँझा बनते ।
कई
कवि देखे
कई तरह के
कवि देखे
कोई मधुकर था यहाँ
कोई काला था, कोई दिलवाला
कोई परमानंद, कोई विश्वनाथ ।
देवेंद्र कुमार को यहीं देखा
अपनी हीर कविता के लिए राँझा बनते ।