गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 28 फ़रवरी 2008, at 09:33
यही कहूंगा / केदारनाथ अग्रवाल
चर्चा
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
केदारनाथ अग्रवाल
»
फूल नहीं, रंग बोलते हैं-1
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
यही कहूंगा--
क्षण-प्रतिक्षण मैं यही कहूंगा :
जीत लिया सबको फूलों ने,
सबके सिर पर फूल चढ़े हैं ।