हमारा तो यही रहा जीवन-
कि
कभी माता पिता के लिए जिए
कभी समर्पित हुए भाई -बहनों के लिए
कभी जीवन साथी को
खुश करने के लिए
अपने सुख को पैताने रख दिया
कभी सन्तान के लिए
अपने सुखों को आश्वासन देकर सुला दिया।
जब अपनी बारी आई,
माता- पिता चले गए
भाई सदा साथ रहे,
अपने जीवन में खो गए।
सुत- दारा सब कुछ पाकर भी
खुश न हुए।
और हम आपनी साँसें भी
अपने ढंग से न ले सके।
एक तुम हो मेरी प्राणप्रिया
तुझे कुछ न दिया
पर तुमने बीहड़ बन में
मेरा साथ दिया
मेरी योगिनी!
-0-