जाड़े की सुबह
टहलकर लौटते
अक्सर दिख जाता है
पूरब दिशा से
कुहासे को चीरकर
निकलता
ऑस में भीगा
ताजा –निखारा
सुंदर
तुम्हारा चेहरा
और मुझे लगता है
यही है ईश्वर
जाड़े की सुबह
टहलकर लौटते
अक्सर दिख जाता है
पूरब दिशा से
कुहासे को चीरकर
निकलता
ऑस में भीगा
ताजा –निखारा
सुंदर
तुम्हारा चेहरा
और मुझे लगता है
यही है ईश्वर