अटालिकाओं की छाया ने
हमें बौना बना दिया है
मल्टीप्लेक्स ने छिन ली हमारी मासूमियत
हैरी पॉटर को उड़ान भरते देख
रोमाँचित होते हैं हम
बच्चों को खेलने से रोकते हैं
मशीनों की शोर में
दब गयी है भाषा
बंजर हो गयी है
हमारी भावभूमि
अब उगते नहीं उसपर
सुविचार