Last modified on 17 नवम्बर 2023, at 00:40

यह कोई झूठ नहीं / हरिवंश प्रभात

यह कोई झूठ नहीं गाँव की सच्चाई है।
पढ़ के अख़बार में देखो जो ख़बर आई है।

हाल बेहाल है लोगों का जहाँ भी देखो,
आसमान छू रही देखो यहाँ मँहगाई है।

स्थिति चारों तरफ़ ही है भयावह लोगों,
ज़िंदगी, नौकरी लगती है कि पराई है।

ताश-दारू की बुराई में जवां है देखो,
शर्म भी देख के उनको बड़ी शरमाई है।

हैं अभी भी यहाँ कुछ लोग बड़े निष्ठावान,
राहें चलते हैं ये पुरखों ने जो बतलाई है।

जितना पानी है चुआंड़ी में ये समझो ‘प्रभात’
अब यहाँ देखो बची उतनी ही सच्चाई है।