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यह बनारस है / अष्‍टभुजा शुक्‍ल

सभ्यता का जल
यहीं से जाता है
सभ्यता की राख
यहीं आती है
लेकिन यहाँ से
सभ्यता का कोई चक्रवात नहीं उठता
और न ही यहाँ
सभ्यता की कोई
आँधी आती है
यह बनारस है

चाहे सारनाथ की
ओर से आओ
या लहरतारा की ओर से
वरुणा की ओर से आओ
या गंगा की ओर से
इलाहाबाद की ओर से आओ या
मुगलसराय की ओर से
डमरू वाले की सौगन्ध
यह बनारस यहीं
और इसी तरह मिलेगा

ठगों से ठगड़ी में
सन्तों से सधुक्कड़ी में
अँग्रेज़ों से अँग्रेज़ी और
पण्डितों से संस्कृत में
बौद्धों से पालि
पण्डों से पण्डई और
गुण्डई में
लेकिन आपस में भोजपुरी में बतियाता हुआ यह
बहुभाषाभाषी बनारस है

गुरु से सम्बोधन करके
किसी गाली पर
ले जाकर पटक देनेवाले बनारस में
सब सबके गुरू हैं

रिक्शेवाले गुरू हैं
पानवाले गुरू हैं
पण्डे,मल्लाह, मुल्ले, माली और डोम गुरू हैं
नाई गुरू है, भाई गुरू है
कसाई गुरू हैं कामरेड गुरू हैं
शिष्य गुरू हैं और
गुरू तो गुरू हैं ही
फिर भी गुरु के बारे में
सबके अनुभव
अलग अलग हैं
किसी के लेखे
गंगा ही गुरु है
किसी के लेखे
ज्ञान ही गुरु है
किसी के लेखे
स्त्री गुरू है
किसी के लेखे
सीढ़ियाँ ही गुरू हैं
किसी के लेखे गाइड गुरू हैं
किसी के लेखे विभागाध्यक्ष सत्गुरु हैं
किसी के लेखे
ठेस ही गुरू है

बनारस में
बनारसी बाघ हैं
बनारसी माघ हैं
बनारसी घाघ हैं
बनारसी जगन्नाथ हैं
शैव हैं, वैष्णव हैं, सिद्ध हैं कबीरपंथी नाथ हैं
जगह जगह लगती हैं
यहाँ लोक अदालतें
कहने को तो कचहरी भी है बनारस में
लेकिन यहाँ
सबकी गवाह गंगा और
न्यायाधीश विश्वनाथ हैं

बनारस में मल्ल हैं
अखाड़े हैं,मठ हैं, आश्रम हैं
व्यायाम, प्राणायाम है
यहाँ सबका
बदन गीला है
लेकिन जाने क्यों
हर कोई
थोड़ा - थोड़ा ढीला है
किसी बनारसी को
परिचय - पत्र की जरूरत नहीं
लगता है समूचा बनारस
सिर्फ़ गंगा की
एक बूँद से बना है
मूल है बनारस
गंगा तना है

किसी को जोगी, किसी को जती,किसी को औघड़, किसी को स्कालर,
किसी को कवि, किसी को भाँड़, किसी को गँजेड़ी-भँगेड़ी, किसी को सांड़
बना देता है बनारस

शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी
चंद्रघण्टा, सिद्धिदात्री आदि नवदुर्गा, भैरव, संकटमोचन आदि
बज्रहृदय पत्थर के देवी
देवता खड़े हैं यहाँ
ताक रहे हैं टुकुर टुकुर
गंगा भी खड़ी हैं यहाँ
पानी की भी प्रतिमा
बनी है बनारस में

जो भी बनारस जाता है
कोई सिर के बाल
कोई जेब,कोई मन, कोई तन अर्थात्
कुछ न कुछ खोकर ही जाता है
और जब कोई
बनारस से जाता है
हरी झण्डी की तरह बनारस अपने दोनों हाथ
हिलाता है