यह स्वप्न नहीं है
रात ढाई के आसमान से मेरे ऊपर
एक कोरा कपड़ा गिर रहा है
मैं अपनी चटाई से हट नहीं रही
मेरे दाईं ओर सिर्फ़ तुम्हारी नींद है
मैं मान लूँ क्या
इतने घने प्रेम में भी
कोई किसी को बचा नहीं सकता
यह स्वप्न नहीं है
रात ढाई के आसमान से मेरे ऊपर
एक कोरा कपड़ा गिर रहा है
मैं अपनी चटाई से हट नहीं रही
मेरे दाईं ओर सिर्फ़ तुम्हारी नींद है
मैं मान लूँ क्या
इतने घने प्रेम में भी
कोई किसी को बचा नहीं सकता