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यह हवा नीली है / तेजी ग्रोवर

यह हवा नीली है, काले समुद्र पर।

चिड़िया अपने वज़न से भी हल्की है मन में। वे शब्दों को
दूर तक पीते हुए रेत पर चलते हैं। आसमान में अक्षरों
की तरह क़रीब आते हैं जलपक्षी। इस धरती पर मनुष्य
का अन्धेरा फैलता है। गेहूँ के दाने चट्टान पर बिखरते हैं।
सूर्य चमकने लगता है। हवा बहती है। सड़क के बीचोंबीच
एक झाड़ू है। बकरियाँ एक प्राचीन औरत के साथ अब
भी छिलकों के लिए घूमती हैं।

मैंने कहा था आँख के लिए बस इतना ही काफ़ी है। आज
के लिए बस इतना ही अन्त।



खेल के दिन थे, पानी उथला, और नक्षत्रों की शुआएँ
वैसी ही नीली थीं। हमारे मृतक फीके हो रहे थे और एक
के बाद एक हमारे बदलते हुए घरों में उनका आना हमें
सूझता ही नहीं था। यात्राओं में बस्तियों के हरे घरों को
अपने रहने के कमरों की तरह देखते हमारी आँखें दुखती
थीं। जो पलाश नहीं थे वे और-से-और सुर्ख़ हमें याद
रहने लगे थे। सामने के दरख़्तों में फूलों की आग कभी
तेज़ नहीं होती थी।

इतना श्रम होगा प्रेम में हम नहीं जानते थे।