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हे माँ शारदे !
अनिल जनविजय के मन में कविता झँकार दे
उमाशँकर सिंह परमार को सुधीर सक्सेना से उबार दे
स्वप्निल श्रीवास्तव को खूब मोटा पुरस्कार दे
हिन्दी कवियों को अशोक वाजपेयी का प्यार दे
साहित्य अकादेमी को साहित्य अपरम्पार दे
मँगलेश डबराल को डबरे में डाल दे
उदय प्रकाश को मूँछ दे
राजेश जोशी को पूँछ दे
आलोकधन्वा को पटना से पाट दे
अरुण कमल को खगेन्द्र ठाकुर से साट दे
मैनेजर पाण्डेय को देश में कहीं खाट दे
अनामिका को सबकी आँख में खटकने दे
कृष्ण कल्पित को भूत सा भटकने दे
ज्ञानरँजन को पहल में अटकने दे
भारत यायावर को नागार्जुन की लँगोटी दे
छोटी सी सोटी दे
आर दे पार दे
दुश्मन को मार दे
ऐसो एक नार दे
सोलह शृँगार दे
तार दे तार दे
सबको दुलार दे
हे माँ शारदे!