हाथों ने
गढ़ा
झेला
दर्द
जो उमड़ा
आँखों में।
यहाँ से
शुरू हो रही है
यात्रा
विचार तक की।
पानी से आग तक की।
रचनाकाल : सितम्बर, 1999
हाथों ने
गढ़ा
झेला
दर्द
जो उमड़ा
आँखों में।
यहाँ से
शुरू हो रही है
यात्रा
विचार तक की।
पानी से आग तक की।
रचनाकाल : सितम्बर, 1999