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यादों में मैं तुझे ढूंढ़ती रहती हूँ / रंजना वर्मा

यादों में मैं तुझे ढूंढ़ता रहता हूँ
जाने सोया रहता हूँ या जागा हूँ

फूल बहारों में ही सिर्फ खिला करते
मैं हर रोज़ पसीना बन के महका हूँ

जो न कहीं भी ठहरे थक कर रस्ते में
मैं वो गंग जमुन सा बहता दरिया हूँ

पतझारों में झरते पत्ते दूर गये
कांटा हूँ मैं जो डाली पर ठहरा हूँ

जागी आँखों में जो रोज़ समाया सा
मैं आँखों का वो ही ख़्वाब सुनहरा हूँ

सहमी सहमी झुकी नज़र में खौफ़ बना
हिम्मत वालों में बन हिम्मत रहता हूँ

बन के रहा तबस्सुम प्यासे होठों का
बन के अश्क़ नज़र से मैं ही टपका हूँ