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याद-2 / प्रभात

बीत जाता है सफ़र
याद रह जाती है सफ़र की
जीप के पर्दों की तरह
फट-फट फड़-फड़ बजती

इस याद के सहारे कटते हैं
कितने ही सफ़र
पीछे सिर टिकाए
आँखें बंद किए
ज़िन्दगी के बचे-खुचे तमाम सफ़र