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याद / पाब्लो नेरूदा / विनोद दास

मुझे सब कुछ याद रखना है
दूब पर नज़र रखनी है
सभी लस्तम-पस्तम घटनाएँ याद रखनी हैं
इँच दर इँच आरामग़ाहों को याद रखना है
रेल की अन्तहीन पटरियाँ
और दर्द की सलवटों को याद रखना है

अगर मैं गुलाब की एक कली को ग़लत समझ लूँ
और रात को भूलवश एक खरहा मान लूँ
या यहाँ तक कि मेरी याद की एक पूरी की पूरी दीवार ढह जाए
तो मुझे हवा में बनानी होगी
भाप, ज़मीन, पत्तियाँ
जुल्फें और यहाँ तक कि ईंटें और काँटे भी
जो उड़ान की तेज़ी से मुझे घायल करते हैं

कवियों के साथ
नरमी से पेश आइए

मैं हमेशा बहुत जल्दी भूल जाता हूँ
और मेरे हाथ सिर्फ़ उन अमूर्त और अछूती चीज़ों को ही पकड़ पाते हैं
जिनकी तुलना केवल तब ही की जा सकती है
जब वे मौजूद ही नहीं रहते
धुआँ एक तरह की ख़ुशबू है
ख़ुशबू जो कुछ-कुछ धुएँ जैसी है
सोती हुई देह की त्वचा
जिसमें मेरे चुम्बनों से जान आ जाती है
लेकिन मुझसे तारीख़ या नाम मत पूछिए
कि मैंने सपने में क्या देखा था

न ही मैं उस सड़क को नाप सकता हूँ
जिसका कोई देश नहीं है
और वह सचाई जो कि बदल गई है
या शायद दिनभर के लिए ठहर गई है
घुमन्तू रोशनी बनने के लिए
अन्धेरे में जुगनू की तरह

अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास