Last modified on 19 सितम्बर 2020, at 19:10

याद तुम्हारी / रोहित रूसिया

मुझको सदा
छला करती है
याद तुम्हारी

अब मन की
कच्ची दीवारें
डर डर जाती हैं
महज कल्पना से
बिछु़डन की मर-मर जाती हैं
साँसों के संग
आती जाती याद तुम्हारी

खुश होता हूँ कभी,
कभी गुमसुम
हो जाता हूँ यादों में खो
अक्सर मैं खुद
में गुम जाता हूँ
जाने क्या से
क्या कर जाती
याद तुम्हारी

मुझको सदा
छला करती है
याद तुम्हारी