शीत, आतप, वात, पानी
क्या कहेंगे-
रोक पायेंगे नहीं
उसके कदम को
शैल पत्थर
खुद ढहेगे
चाह संकल्पित
को देंगे राह
बनकर धार
पानी की बहेगे
हैं यायावर जो
सदा चलते
रहेगे।
शीत, आतप, वात, पानी
क्या कहेंगे-
रोक पायेंगे नहीं
उसके कदम को
शैल पत्थर
खुद ढहेगे
चाह संकल्पित
को देंगे राह
बनकर धार
पानी की बहेगे
हैं यायावर जो
सदा चलते
रहेगे।