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यायावर / विनोद शर्मा

(अज्ञेय के लिए)

कहीं से
हवा में उड़ता हुआ
आया एक पत्ता
और अटक गया
एक झाड़ी में

कुछ समय बाद
ले उड़ा उसे
हवा का एक तेज झोंका
कहीं और...

(‘अरे यायावर रहेगा याद’: अज्ञेय की कविता ‘दुर्वांचल’ की पंक्ति)