बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
यारी बेवकूपन सें करबौ,
होत सुगर कौ मरवौ।
बिना ज्ञान मूरख ना जानें।
बनवौ और बिगरवौ,
अपुनयाई में बन हैं कैसें
एकई गैल डिगरवौ?
जरिया कैसो जार ईसुरी
मुसकिल परे निनरवौ।
यारी बेवकूपन सें करबौ,
होत सुगर कौ मरवौ।
बिना ज्ञान मूरख ना जानें।
बनवौ और बिगरवौ,
अपुनयाई में बन हैं कैसें
एकई गैल डिगरवौ?
जरिया कैसो जार ईसुरी
मुसकिल परे निनरवौ।