युग के वन्दन
नत अभिनन्दन
साँप उहें बा
जहवाँ चन्दन
लोग बढ़त बा
पग-पग क्रन्दन
इज्जत गिरवी
हावी बा धन
कठिन साधना
चंचल जब मन
राम जुबाँ पर
भीतर रावन
कलई लागल
लउके कंचन
युग के वन्दन
नत अभिनन्दन
साँप उहें बा
जहवाँ चन्दन
लोग बढ़त बा
पग-पग क्रन्दन
इज्जत गिरवी
हावी बा धन
कठिन साधना
चंचल जब मन
राम जुबाँ पर
भीतर रावन
कलई लागल
लउके कंचन