Last modified on 19 अगस्त 2015, at 17:36

युवक / भोलालाल दास

भूमिकम्प छी प्रबल श्वि विप्लवकारी हम,
छी अति प्रखर तरंग रूढि-गिरि रजकारी हम।
दावानल प्रज्वलित दासता क्षयकारी हम,
झंझानिल सम छी स्वतन्त्रता-रवकारी हम।

अन्यायी सत्ताक छी प्रलय गगन सम अति विषम
हमरहि लघु हूंकारसँ महाप्रलय होइछ, नियम।

हमहि युगक अवसान हमहि शिवनयन भयंकर,
हमहि प्रबल विद्रोह क्रान्तिकारी प्रलयंकर,
हमहि विश्व संहार अओर छी संघ शक्तिधर,
हमहि अचल छी जगत-उदधि-मन्थन हित मन्दर,

हमहि काल छी, पुनि हमहि महाकाल छी भूतहित,
नवयुग नव सिरजन करी भ्रूकटाक्षसँ हमहि नित।

हमहि रोष छी प्रबल, हमहि दी ताण्डव भयकर,
असन्तोष छी हमहि, क्षुब्ध मानू छी विषधर,
हमहि अशान्तिक मूल, हमहि दानव संहारक,
हमहि परम दुर्दान्त, लोकमत राष्ट्र सुधारक,

हमहि रक्त दन्तावली-विस्फारित केहरि बली,
भूकथुश्वान हजार नित महामत गज सम चली।

समता थापक हमहि विषमता नाशक सत्वर,
वर्त्तमान अछि हमर, भविष्यक के चिन्ताकर,
हमहिध्वंस प्राचीनताक पुनि मुक्ति-द्वारदर
अन्यायक छी अशनि शान्ति उल्का छी दुस्तर,

शक्ति, साधना, साहसक मूर्त्ति हमहि छी युवक जन,
हमर शक्ति प्रज्वलित हो पाबि-अनल आहुति दमन।