ये किताबें हिदायतों वाली
सिर्फ़ उनके ही फ़ायदों वाली
आदतें भी कभी बदलती हैं ?
छोड़ बातें ये पागलों वाली
तू पकड़ सिर्फ़ रास्ता अपना
सारी सड़कें हैं दो रुखों वाली
फिर भी तोले थे ‘पर’ परिंदे ने
गो हवाएँ थीं साज़िशों वाली
रास्ते ‘झूठ’ के रहे आसाँ
‘सच’ की राहें थीं मुश्किलों वाली
उनकी मासूमियत पे मत जाना
उनकी चालें हैं शातिरों वाली
अब वो परियाँ कहाँ से लाएँ हम
नानी—माँ की कहानियों वाली
घिर के बरसात में कही हमने
ग़ज़लें ख़ुशरंग मौसमों वाली