ये जहाँ मेरा नहीं है
या कोई मुझसा नहीं है
मेरे अपने आइने में
अक्स क्यों मेरा नहीं है
उसकी रातें मेरे सपने
कोई भी सोता नहीं है
आँखों में कुछ भी नहीं फिर
नीर क्यों रुकता नहीं है
दिल है इस सीने में, तेरे
जैसे पत्थर सा नहीं है
देखते हो आदमी जो
उसका ये चेहरा नहीं है
एक भी ज़र्रा यहाँ पर
तेरा या मेरा नहीं है