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ये दुनिया है / रमेश तैलंग

ये दुनिया है हम बच्चों की
इसके हम महाराजे हैं।
इसमें ढेरों खेल-खिलौने
ढम-ढम बाजे-साजे हैं।

इसमें गुप-चुप काना-फूसी
छुप-छुप बात-बतौवल है।
इसमें एक पल रूठा-रूठी,
एक पल मान-मनौवल है।

इसमें झूठे राजा-रानी
झूठे कपड़े-शपड़े हैं।
इसमें झूठी खींचा-तानी
झूठे नाटक, झगड़े हैं।

इसमें नहीं किताबी कीड़े,
ना आँसू की गोली है।
इसमें किस्से, गीत, ठहाके,
मौजम-मौज, ठिठोली है।