Last modified on 30 जुलाई 2018, at 14:12

ये बांसुरियावारे ऐसो जिन बतराय रे / रसिक बिहारी

ये बांसुरियावारे ऐसो जिन बतराय रे।
यों बोलिए! अरे घर बसे लार्जान दबि गई हाय रे॥
हौं धाई या गैलहिं सों रे! नैन चल्यो धौं जाय रे।
 'रसिकबिहारी' नांव पाय कै क्यों इतनो इतराय रे॥