ये रात कैसी आई
खाली हाथ
न कोई ख़्वाब
न ख़याल
पलकों की झालर पर जो तैरता था
वो चाँद आज ग़ायब है
आरजुओं की पेहरन पर जो तारे थे
वे भी मद्धम हैं
थमा हुआ है नीला आसमान
न जाने
किसके इंतज़ार में
ये रात कैसी आई
खाली हाथ
न कोई ख़्वाब
न ख़याल
पलकों की झालर पर जो तैरता था
वो चाँद आज ग़ायब है
आरजुओं की पेहरन पर जो तारे थे
वे भी मद्धम हैं
थमा हुआ है नीला आसमान
न जाने
किसके इंतज़ार में