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योग दिवस पर / आभा झा

योगक साधक बनल सदा सँ, विश्व गुरु अछि देश हमर:
भौतिक आत्मिक आ आध्यात्मिक ज्ञान विवेकक केंद्र प्रवर।

पतंजलिक अष्टांग योग जीवन जीबाक कला सिखबैछ:
चित्त वृत्ति कें कय निरोध सब आधि व्याधि कें दूर करैछ।

कपाल भाति, भ्रामरी, भस्त्रिका केओ करय अनुलोम विलोम
बाहर काया सौष्ठव होअए, विहुँसय अंतर हृदयक व्योम।

भाँति-भाँति के योगासन थिक, यथायोग्य अभ्यास करी
श्वांस-श्वांस में परमात्मा संग मिलनक सुखद प्रयास करी।