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योजनाओं का शहर-3 / संजय कुंदन

जो दुनियादार थे वे योजनाकार थे
जो समझदार थे वे योजनाकार थे
एक लड़का रोज़ एक लड़की को
गुलदस्ता भेंट करता था
उसकी योजना में
लड़की एक सीढ़ी थी
जिसके सहारे वह
उतर जाना चाहता था
दूसरी योजना में