गीदड़ एक भाग जंगल से
गया शहर में, बीती शाम।
कहीं रखा था रँग भरा टब,
उसमें जाकर गिरा धड़ाम।
सबने समझ अनोखा प्राणी,
उसको झुक-झुक किया प्रणाम।
बारिश आई रंग धुल गया,
पोल खुल गई, बिगड़ा काम।
गीदड़ एक भाग जंगल से
गया शहर में, बीती शाम।
कहीं रखा था रँग भरा टब,
उसमें जाकर गिरा धड़ाम।
सबने समझ अनोखा प्राणी,
उसको झुक-झुक किया प्रणाम।
बारिश आई रंग धुल गया,
पोल खुल गई, बिगड़ा काम।