जब
चुकने लगते हैं शब्द
पहचान खो देती है
भाषा
अप्रासंगिक
हो जाती है सभ्यताएँ
तब रंग -
अपनी गीली ज़मीन से उठकर
हमारा अभिवादन करते हैं ।
जब
चुकने लगते हैं शब्द
पहचान खो देती है
भाषा
अप्रासंगिक
हो जाती है सभ्यताएँ
तब रंग -
अपनी गीली ज़मीन से उठकर
हमारा अभिवादन करते हैं ।