हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
रंडुवा तो रोवै आधी रात सपने में देखी कामनी
कोई ना पीसे उसका पीसना कोई ना पूछै उसकी बात
हिलक हिलक रंडुवा रो रहा भाभी ने पूछी बात
सपने में देखी कामनी
कोई न रोटी बणा देवे उसे कोई न पूछे उसकी बात
सपने में देखी कामनी