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रगड़ के पीसै मसलवा / जयराम सिंह

गोरी गे रगड़ पीसै मसलवा,
आझु बोर बालम ऐथुन ना॥
पंच फोरना के फोरन देके,
हींग खोंट के देहो,
भुँजऽ मसलवा हौले-हौले,
हो मत हे हों फेहों,
गोरिगे नीमन से छानै करैलवा,
आझु तोर बालम ऐथुन ना,
गोरी गे रगड़ के पीसौ मसलवा।
आझु तोर बालम ऐथुन ना॥

(1)
पुआ-पुड़ी मलपुआ, बनावऽ,
घी में छान छोकरिया,
तरकारी में कटहर आलू,
बैंगन साग परोरिया,
गोरी गे पिया के खिलाव महेलवा,
बालम तगड़ा होथुन ना,
गोरी से रगड़ के पीसै मसलवा।
आझु तोर बालम ऐथुन ना॥

(2)
साड़ी, ब्लाउज सेंट सबुनियां,
औ कैथराइन के तेलवाऽ,
नेकलेस अपने हाथ पेन्हैथुन,
देखथुन खाली गलवा,
रतिया रगड़ के दीहँ फुलेलवा,
बालम मातल ऐथुन ना,
गोरी गे रगड़ के पीसै मसलवा।
आझु तोर बालम ऐथुन ना॥