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बादलों को कौन चलाता है
धकेलता है कौन उन्हें
हवा के सिवा?
पर हवा को कौन देता है गति
कोई तो होगा ?
कौन है जो चुपचाप पेड़ों को लादता है फलों से
कौन है जो मुझसे लिखवाता है कविता
कोई तो होगा ?
क्या एक ही है यह 'कोई तो' ?
जो फलों से लाद देता है पेड़ों को
और हवा को देता है गति
गति देने वाले इस 'कोई तो' को
और फल लादने वाले इस चुप्पा को
अब महसूस कर रहा हूँ मैं
अपने मन के भीतर गहरे कहीं ।
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय