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रचना / सूर्यपाल सिंह

केवल झाँकना नहीं
उतरना होगा गह्नर में
छिपा होता उसी में
सर्जना का बीज
डरो नहीं
मत करो इन्तज़ार
सीढ़ियाँ बनने का
जोखिम उठाकर धँसो
बिना जोखिम उठाए
घाव का दर्द अनुभव किए
नहीं बनती कोई रचना।