Last modified on 5 नवम्बर 2009, at 00:05

रणथम्भौर का राजा / अमित कल्ला

हज़ार
दहलिज़े पार कर
चुनौती दे
आकाशीय मेहराबों को
फ़िर लौट आता है

नदी को चीर देता
पर्वत -पर्वत रौंद
आँखों से आग बरसा
आप ही
बनता -बनता है
धारीदार करता
लुकाछिपी
चौकन्ना
चौकाता कैसा
ये रणथम्भौर का राजा ।