Last modified on 25 जून 2022, at 01:31

रसीली लगे बोलियाँ / प्रेमलता त्रिपाठी

सुरीली रसीली लगे बोलियाँ ।
नयन से नशीली लगे बोलियाँ ।

सजी शाम तारों बजे रागिनी,
सरस यह रँगीली लगे बोलियाँ ।

तुम्हारे बिना रात सूनी लगे ,
बड़ी यह कँटीली लगे बोलियाँ।

सताये सदा मान मनुहार ये,
छुई सी लजीली लगे बोलियाँ

न बोले पपीहा विरह की घड़ी,
सुहानी हठीली लगे बोलियाँ ।