Last modified on 22 मई 2018, at 14:23

रस सारा पी डाला / बालकृष्ण गर्ग

‘कुत्ते’ आए कलकत्ते के,
दिल्ली वाले ‘बिल्ली
नाग नागपूर के आए तो
खूब मची खलबल्ली।

कई मुबई की दुमई थी,
गऊ लखनऊ वाली।
मिली बनारस और हाथरस-
से बस, ‘रस’ की प्याली।

‘दुमई-नाग’ बिलों में पहुँचे,
‘गऊ’ गई गोशाला।
‘कुत्ते-बिल्ली’ हमने पाले,
‘रस’ सारा पी डाला।
[बाल-भारती, सितंबर 1977]