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रहने दो / अशोक वाजपेयी

उन्हें जाने दो
एक के बाद एक :
सूर्य, तारे,
विपुल पृथ्वी,
सयाना आकाश,
अबोध फूल।

मुझे रहने दो
अपने अँधेरे शून्य में,
अपने शब्दों के मौन में,
अपने होने की निराशा में।

मुझे रहने दो उपस्थित
आख़िरी अनुपस्थिति में।