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रहस्य / साँवरी / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

शायद तुम
नहीं समझ पाओगे
कि इस जवान रात्रि में
समान रूप से ही रही बरसात में
मेरे भींगने का कारण
इसमें स्नान करने का रहस्य।

क्या कहूँ प्रियतम
मैं भी नहीं जानती हूँ
तब भी
भींगती जा रही हूँ।

देखो प्रियतम
वर्षा की इन बून्दांे ने
कैसा जादू कर दिया है
कि मेरी देह की एक-एक उभार
दिव्य दृष्टि पाकर
ताकने लगी है मुझे
और मैं