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राकस के हीर / रामपुकार सिंह राठौर

मारलक के हिरनी के तौर
पीर नै जानल।
देख देख हिरना अधीर
पीर ने जानल
दू दू ठो बचवा हे
मरतो मुँह चाट रहल
हिरना औ हिरनी के
हिरदा हे फाट रहल
आखरी ई दुधवा हे
पी ले मोर बचवा रे
अदमी हे केतना बेपीर
पीर नै जानल।
नाजुक हिरिनियाँ हे
कैसन छितरायल
एते सुन्नर अँखिया हे
लोर से लोरायल
तोरा बिना बच के अब
का करबै हिरनी गे
हमरो दे हिरदा के चीर
पीर नै जानल
कुरबैत आके जब
बचपन के सूंघऽ हल
दूधवा पियावैत
नेहिया से औंधऽ हल
सोना जैसन देहिया में
हिरा नियन अँखिया से
ढर गेलै के पीर
पीर नै जानल
चरही बस घसिया
न केकरो सतयली हे
कोई बता दे हमरा
केकरा का कइली हे
छतिये में हैंच के हे
मारलक कसैया रे
अदमी हे राकस के हीर
पीर नैं जानल
धरम तोर बेटा
न केकरो सतैहे रे
हमतो मरल जाही
सबके बतैहे रे
लाज हम्मर दूधवा के
मारिहे न केकरो रे
बेटवा रे तोरा हम्मर कीर
पीर नैं जानल।