राखी धागा सूत का, पक्का जैसे तार
पावनता निस्सीम है, दुनिया भर का प्यार।
घड़ी देख कर ताकती, बहना अपलक द्वार
भैया चाहे व्यस्त हों, आएँगे इस बार।
अम्मा-बापू चल बसे, भैया का परिवार
भौजी ने बदला सभी, मैके का व्यवहार।
जात-पात, छोटा-बड़ा, नहीं धरम अरु नेम
सिखा हुमायूँ भी गया, बहन-भ्रात का प्रेम।
बहना प्यारी मित्र है, है माँ का प्रतिरूप
गरमी में छाया घनी, सरदी में है धूप।